प्यार कभी एकतरफा होता है न होगा
कहा था मैंने
दो रूहों की एक मिलन की जुड़वां पैदाइश है यह
प्यार अकेला जी नहीं सकता
जीता है तो दो लोगों में
मरता है तो दो मरते हैं
प्यार एक बहता दरिया है
झील नहीं की जिसको किनारे बाँध के बैठे रहते हैं
सागर भी नहीं की जिसका किनारा होता नहीं
बस दरिया है और बहता है
दरिया जैसे चढ़ जाता है , ढल जाता है
चढ़ना ढालना प्यार में वो सब होता है
पानी की आदत है ऊपर से नीचे की जानिब बहना
नीचे से फिर भागती सूरत ऊपर उठाना
बादल बन आकाश में बहना
कांपने लगता है जब तेज़ हवाएं छेड़ें
बूँद बूँद बरस जाता है
प्यार एक जिस्म के साज़ पे बहती बूँद नहीं है
न मंदिर की आरती है न पूजा है
प्यार नफा है न लालच है
न लाभ न हानि कोई
प्यार ऐलान है अहसान है न कोई जंग की जीत है यह
न ही हुनर है न ही इनाम न रिवाज़ न रीत है यह
यह रहम नहीं यह दान नहीं
यह बीज नहीं जो बीज सके
खुशबू है मगर यह खुशबू की पहचान नहीं
दर्द दिलासे शक विश्वास जूनून और होश -ओ -हवास की एक अहसास के कोख से
पैदा हुआ है
एक रिश्ता है यह
यह सम्बन्ध है -
दो जानो का दो रूहों का पहचानों का
पैदा होता है बढ़ता है यह
बूढा होता नहीं
मिटटी में पले एक दर्द की ठंडी धुप तले
जड़ और तर की फसल
कटती है
मगर यह बंटती नहीं
मट्टी और पानी और हवा कुछ रौशनी और तारीकी कुछ
जब बीज की आँख में झांकते हैं
तब पौधा गर्दन ऊंची करके
मूंह नाक नज़र दिखलाता है
पौधे के पत्ते पत्ते पर कुछ प्रश्न भी है उत्तर भी
किस मिटटी की कोख थी वोह
किस मौसम ने पाला पोसा
और सूरज का छिडकाव किया
की सिमट गयीं शाखें उसकी
कुछ पत्तों के चेहरे ऊपर हैं
आकाश की जानिब तकते हैं
कुछ लटके हुए हैं
ग़मगीन मगर
शाखों की रगों से बहते हुए पानी से जुड़े हैं
मट्टी के तले एक बीज से आकर पूछते हैं -
हम तुम तो नहीं
पर पूछना है -
तुम हमसे हो या हम तुमसे
प्यार अगर वो बीज है तो
एक प्रश्न भी है
एक उत्तर भी !
-गुलज़ार
कहा था मैंने
दो रूहों की एक मिलन की जुड़वां पैदाइश है यह
प्यार अकेला जी नहीं सकता
जीता है तो दो लोगों में
मरता है तो दो मरते हैं
प्यार एक बहता दरिया है
झील नहीं की जिसको किनारे बाँध के बैठे रहते हैं
सागर भी नहीं की जिसका किनारा होता नहीं
बस दरिया है और बहता है
दरिया जैसे चढ़ जाता है , ढल जाता है
चढ़ना ढालना प्यार में वो सब होता है
पानी की आदत है ऊपर से नीचे की जानिब बहना
नीचे से फिर भागती सूरत ऊपर उठाना
बादल बन आकाश में बहना
कांपने लगता है जब तेज़ हवाएं छेड़ें
बूँद बूँद बरस जाता है
प्यार एक जिस्म के साज़ पे बहती बूँद नहीं है
न मंदिर की आरती है न पूजा है
प्यार नफा है न लालच है
न लाभ न हानि कोई
प्यार ऐलान है अहसान है न कोई जंग की जीत है यह
न ही हुनर है न ही इनाम न रिवाज़ न रीत है यह
यह रहम नहीं यह दान नहीं
यह बीज नहीं जो बीज सके
खुशबू है मगर यह खुशबू की पहचान नहीं
दर्द दिलासे शक विश्वास जूनून और होश -ओ -हवास की एक अहसास के कोख से
पैदा हुआ है
एक रिश्ता है यह
यह सम्बन्ध है -
दो जानो का दो रूहों का पहचानों का
पैदा होता है बढ़ता है यह
बूढा होता नहीं
मिटटी में पले एक दर्द की ठंडी धुप तले
जड़ और तर की फसल
कटती है
मगर यह बंटती नहीं
मट्टी और पानी और हवा कुछ रौशनी और तारीकी कुछ
जब बीज की आँख में झांकते हैं
तब पौधा गर्दन ऊंची करके
मूंह नाक नज़र दिखलाता है
पौधे के पत्ते पत्ते पर कुछ प्रश्न भी है उत्तर भी
किस मिटटी की कोख थी वोह
किस मौसम ने पाला पोसा
और सूरज का छिडकाव किया
की सिमट गयीं शाखें उसकी
कुछ पत्तों के चेहरे ऊपर हैं
आकाश की जानिब तकते हैं
कुछ लटके हुए हैं
ग़मगीन मगर
शाखों की रगों से बहते हुए पानी से जुड़े हैं
मट्टी के तले एक बीज से आकर पूछते हैं -
हम तुम तो नहीं
पर पूछना है -
तुम हमसे हो या हम तुमसे
प्यार अगर वो बीज है तो
एक प्रश्न भी है
एक उत्तर भी !
-गुलज़ार
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